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पञ्चसंग्रह
एदेसिं च भंगा- ६।५।४।३।२।६ एए अण्णोष्णगुणिया= ६४८०
६।१०।४।३।२।२९ , , =२५९२० ६।१०।४।३।२।
, , = १२६६० सब्वे मिलिया
= ४५३६० एकादशप्रत्ययानां विकल्पाः सर्वे एकत्रीकृताः ४५३६० भवन्ति । देशसंयतमें ग्यारह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्ग इस प्रकार उत्पन्न होते हैं(१) ६।५।४।३।२।६ इनका परस्पर गुणा करने पर ६४८० भङ्ग होते हैं । (२) ६।१०।४।३।२।२।६ इनका परस्पर गुणा करने पर २५६२० भङ्ग होते हैं । (३) ६।१०।४।३।२।६ इनका परस्पर गुणा करने पर १२६६६ भङ्ग होते हैं । ग्यारह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी सर्व भङ्ग- ४५३६० होते हैं ।
का० भ० देशसंयतके बारह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्गोंको लानेके लिए ५ . कूटरचना इस प्रकार है
इदिय पंच वि काया कोहाई दोष्णि एयवेदो य । हस्साइदुयं एवं जोगो वारस हवंति ते हेऊ ॥१६॥
५२।१।२।१ एदे मिलिया १२ । १५२।१२।। एकीकृताः १२ प्रत्ययाः। एतेषां भंगाः ६।१।४।३।२।। एते अन्योन्यगुणिताः १२६६ ॥१६॥
अथवा देशसंयतमें इन्द्रिय एक, काय पाँच क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक और योग एक; ये बारह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥१६०॥ इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है-१+५+२+१+२+१=१२।
इंदिय चउरो काया कोहाई दोणि एयवेदो य । हस्साइदुयं एयं भयदुय एयं च जोगो य ॥१६॥
१४।२।१२।१।१ एदे मिलिया १२ । १।४।२।१२।१११ एकीकृताः १२ । एतेषां भंगा: ६।५।४।३।२।२। परम्परेण गुणिताः १२६६० ॥१६॥
अथवा इन्द्रिय एक, काय चार, कोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भयद्विकमेंसे एक और योग एक; ये बारह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥१६॥
इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है-१+४+२+१+२+१+१=१२।
इदिय तिणि य काया कोहाई दोणि एयवेदो य । हस्साइदुयं एवं भयजुयलं एयजोगो य ॥१२॥
१।३।२।१।२।२११ एदे मिलिया १२ । १३।२।१२।२११ एकीकृताः १२ प्रत्ययाः । एतेषां भंगाः ६।१०॥४३॥२११ परस्परेण गणिताः १२६६० ॥१६२॥
अथवा इन्द्रिय एक, काय तीन, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भययुगल और योग एक; ये बारह बन्ध-प्रत्यय होते है ।।१२।।
इनको अंकसंदृष्टि इस प्रकार है--१+३+२+१+२+२+१=१२। .
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