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________________ शतक १४७ एदेसिं च भंगा-६।३१२।२।१० एए नण्णोण्णगुणिदा = २८८० ६।६।४।३।२।१० एदे अण्णोष्णगुणिदा= ८६४० दो वि मेलिए = ११५२० एतौ द्वौ राशी एकीकृतौ ११५२० । एते पञ्चदशप्रत्ययानां विकल्पाः । मिश्र गणस्थानमें पन्द्रह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी दोनों प्रकारोंके भङ्ग इस प्रकार होते हैंप्रथम प्रकार-६।१।४।३।२।२।१० इनका परस्पर गुणा करनेपर २८८० भङ्ग होते हैं । द्वितीय प्रकार-६।६।४।३।२।१० इनका परस्पर गुणा करनेपर ८६४० भङ्ग होते हैं। उक्त सर्व भङ्गोंका जोड़-- ११५२० होता है। सम्यग्मिथ्यादृष्टिके आगे बतलाये जानेवाले सोलह बन्ध . का० भ० प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्गोंको निकालनेके लिए बीजभूत कूटकी रचना इस प्रकार है इंदिय छक्क य काया कोहाई तिणि एयवेदो य । हस्साइदुयं एयं भयजुयलं सोलसं जोगो ॥१७६॥ १।६।३।१।२।२।१ एदे मिलिया १६ । १।६।३।१।२।२।१ एकीकृताः १६ प्रत्ययाः । एतेषां भंगा: ६।१४।३।२।१० परस्परेण गुणिताः १४४० ॥१७६॥ अथवा मिश्रगुणस्थानमें इन्द्रिय एक, काय छह, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भययुगल और योग एक; ये सोलह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥१७६।। इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है-१+६+३+१+२+२+१=१६ । एदेसिं च भंगा-६।१।४।३।२।१० एए अण्णोष्णगुणिदा = १४४० । मिस्सभंगा एवं सव्वे मिलिया ३६२८८० । मिस्सगुणहाणस्स भंगा समत्ता । एवं सर्वे नवादि-पोडशान्तप्रत्ययानां भंगा: विलक्ष द्वापष्टि-सहस्राष्टशताशीति विकल्पाः ३६२८८० मिश्रगुणस्थाने भवन्ति । उक्त सोलह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्ग इस प्रकार होते हैं६।१।४।३।२।१० इनका परस्पर गुणा करनेपर १४४० भङ्ग हे इस प्रकार मिश्रगुणस्थानमें दशसे लेकर सोलह बन्ध-प्रत्ययों तकके सर्व भङ्गोंका प्रमाण ३६२८८० होता है । जिसका विवरण इस प्रकार हैनौ बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्ग ८६४० दश ३८८५० ग्यारह ८०६४० बारह " " १००८०० तेरह ८०६४० ४०३२० पन्द्रह ११५२० सोलह " १४४० सम्यग्मिथ्यादृष्टिके सर्व बन्ध-प्रत्ययोंके भङ्गोंका जोड़- ३६२८८० होता है। इस प्रकार मिश्रगुणस्थानके भङ्गोंका विवरण समाप्त हुआ। चौदह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001937
Book TitlePanchsangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages872
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size21 MB
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