________________ - 'योग' शरीर एवं चित्त के प्रदूषण को रोकता है, 'विचारों का संशोधन एवं विशोधन कर, स्फूर्ति, साहस,ऊर्जा और असीम बलजागृतकरता है. शरीर एवं मन के समस्त विकारों का निरोधक, आत्मा' की ऊर्ध्वगामिता कासोपान-'योग सबके लिएसहज हो,एतदर्थ पठनीय-मननीय है, प्रस्तुत- जैन योग ग्रन्थ चतुष्टयः -युवाचार्य मधुकर मुनि S.Bhart AG जैन योग ग्रन्थ चतुष्टय