SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुहूर्तराज ] [ १९ धुवादि संज्ञक नक्षत्र एवं तत्कृत्यज्ञापक सारणी # नक्षत्र नाम संज्ञा उनमें करणीय कार्य स्थिर अथवा ध्रुवसंज्ञक उ.फा., उ.षा. उ.भा., रोहिणी और रविवार स्वाती, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा शतभिषा, और सोमवार बीज बोना, गृह कर्म, शालिक कर्म, बाग आदि लगवाना, आदि स्थिर कार्य हाथी घोड़े की सवारी, वाटिका में जाना आदि चर कार्य २. | चर अथवा चल संज्ञक पू.फा., पू.षा. पू.भा., भरणी मघा, और मंगलवार उग्र अथवा क्रूरसंज्ञक | घातकर्म, अग्निदाह धूर्तता, विष देना, शस्त्रादि निर्माण एवं धारणादि उग्र एवं क्रूर कार्य मिश्र अथवा साधारण संज्ञक अग्नि होत्र धारण करना, अन्य नक्षत्रोक्तकर्म वृषोत्सर्ग क्रिया एवं अन्य उग्र कर्म भी लघु अथवा क्षिप्र संज्ञक मृदु अथवा मैत्रसंज्ञक विशाखा, कृतिका और बुधवार हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजित और गुरुवार मृगशिरा रेवती, चित्रा, अनुराधा और शुक्रवार मूल ज्येष्ठा आर्द्रा, आश्लेषा और शनिवार ८. भरणी, कृतिका, आश्लेषा, मघा, मूल, विशाखा, पू.फा., पू.षा., पू.भा ९. रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, घनिष्ठा, उ.फा., ऊ.षा., उ.भा., श्रवण, शतभिषा १०. रेवती, अश्विनी, चित्रा, स्वाती, हस्त, पुनर्वसु, अनुराधा, मृगशिरा, ज्येष्ठा वस्तु विक्रय, रतिकर्म, शास्त्र ज्ञान, भूषण __धारण, शिल्पकला शिक्षणादि कर्म गीत शिक्षण, वस्त्र धारण, क्रीड़ा, मैत्री आभूषण निर्माण एवं धारण अभिचार कर्म, उग्र कर्म, हनन, मित्र कलह हाथी घोड़े आदि की शिक्षा बन्धनादि कर्म तीक्ष्ण अथवा दारुण संज्ञक अधोमुख वावड़ी कूप, तालाब, तृणादि संग्रह, देवता आगार खनन, खानों की खुदाई प्रतिष्ठा, उ.फा., | उर्ध्वमुख राज्याभिषेक, पट्टबन्धादि उन्नत कर्म तिर्यमुख हाथी, घोड़े, ऊँट, बैल, महिष आदि को शिक्षा देना, बीजों की बुवाई, यातायातादि कर्म अभिजित् नक्षत्र का मान - वसिष्ठ मत से - अमिजिद्भोगमेतद्वै वैश्वदेवान्त्यपादमखिलं तत् । आद्यचतस्त्रों नाड्यो हरिभस्यैतच्च रोहिणी विद्धम् ॥ अन्वय - वैश्वदेवान्त्यम् अखिलम् पादम् हरिमस्य आद्यचतस्रो नाड्यो एतद् वै अभिजिद्भोगम् (एतच्च अभिजिद् पंचशलाकायाम्) रोहिणी विद्धम्। - अर्थ - उत्तराषाढा नक्षत्र का चतुर्थ चरण और श्रवण की आदि की ४ घटी यह अभिजित् नक्षत्र का मान है। इसका उपयोग वेध, लत्ता, उत्पात आदि के देखने में किया जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy