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________________ मुहूर्तराज ] [३४९ साधक अक्षर - ल, ला । साध्यजिन तारा योनि __ वर्ग विंशोपक गण | राशि | नाडी देव मेष साध्यनाम स्वकीय विरुद्ध अश्व महिष लभ्य ३, ५, ७, आद्य | आद्यवेध राक्षस अशुभ मध्यम |शुभ मध्यम अशुभ शुभ अशुभ अशुभ | भवेध अशुभ अशुभ सम कुवैर प्रीति वैर मध्यम श्रेष्ठ |श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी |श्री सम्भवनाथजी |श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी |श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी |श्री वासुपूज्यजी |श्री विमलनाथजी |श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी २० श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी |श्री नेमिनाथजी २३ श्री पार्श्वनाथजी २४ श्री महावीरस्वामीजी मैत्री वैर मध्यम श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठतर स्व अशुभ अशुभ श्रेष्ठ स्व एकम स्व | एकम अशुभ अशुभ अशुभ सम शत्रु मध्यम भवेध राशि वश्य पति मंगल एकनाथ वृश्चिक वर्ण क्षत्रिय नक्षत्र युजि अश्विनी पूर्व मेष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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