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________________ ३४८ ] [ मुहूर्तराज साधक अक्षर - रु, रू, रे, रै रो, रौ। साध्यजिन तारा योनि वर्ग विंशोपक गण राशि नाडी देव साध्यनाम स्वकीय विरुद्ध महिष अश्व लभ्य | अन्त्य अन्त्यवेध ८, १, ३ राक्षस | मीन अशुभ मध्यम शुभ भवेध मध्यम प्रीति स्व शुभ अशुभ कुवैर अशुभ अशुभ अशुभ मध्यम | शुभ श्रेष्ठतर वेध वैर वैर श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी |श्री शीतलनाथजी |श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी |श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी श्री महावीरस्वामीजी शुभ अशुभ मध्यम शत्र शत्रु | वेध श्रेष्ठ अशुभ अशुभ अशुभ सम प्रीति वेध शत्र वेध अशुभ सम श्रेष्ठतर | वेध अशुभ सम श्रेष्ठ वेध अशुभ मध्यम श्रेष्ठ पति एकनाथ वर्ण युजि वश्य बिना सिंह व मनुष्य नक्षत्र । स्वाती | मध्य शुक्र वृषभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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