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________________ [३३७ मुहूर्तराज ] साधक अक्षर - ब,बा, बि, बी, बु, बू। साध्यजिन | तारा | योनि वर्ग विंशोपक गण राशि नाडी - - मनुष्य स्वकीय विरुद्ध साध्यनाम लभ्य देया वृषभ धन | अन्त्य अन्त्यवेध ६, ८,१ । नकुल राक्षस कुवैर शत्रु वेध स्व स्व एकम मैत्री मध्यम २ ॥ मध्यम श्रेष्ठ श्रेष्ठ अशुभ वेध अशुभ अशुभ अशुभ |शभ प्रीति वेध मध्यम सम अशुभ अशुभ अशुभ शत्रु वेध श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी |श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी |श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी |श्री कुंथुनाथजी |श्री अरनाथजी |श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी |श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी श्री महावीरस्वामीजी अशुभ मध्यम |शुभ अशुभ | श्रेष्ठतर |शुभ मध्यम शुभ . अशुभ स्व मध्यम | शुभ अशुभ अशुभ मध्यम | अशुभ कुवैर अशुभ मध्यम शुभ अशुभ मध्यम | अशुभ मध्यम | अशुभ | अशुभ अशुभ मध्यम अशुभ अशुभ शुभ प्रीति |वेध शुभ एकनाथ वर्ण वश्य युजि राशि वृषभ पति शुक्र नक्षत्र रोहिणी तुला वैश्य मेष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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