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________________ [३३५ मुहूर्तराज ] साधक अक्षर - पे, पै, पो, पौ साध्यजिन ___ तारा योनि वर्ग विंशोपक गण राशि | नाडी | मध्य साध्यनाम स्वकीय विरुद्ध लभ्य देय ७,९,२ राक्षस कन्या देव, मनुष्य | मेष मध्यवेध अशुभ |शुभ श्रेष्ठतर | वेध श्रेष्ठतर अशुभ शुभ स्व अशुभ अशुभ श्रेष्ठ वेध मध्यम प्रीति श्री ऋषभदेवजी २ श्री अजितनाथजी | श्री सम्भवनाथजी |श्री अभिनन्दनजी |श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी |श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी | श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी श्री महावीरस्वामीजी | वैर । सिम अशुभ कुवैर शभ अशुभ सम शत्रु मध्यम शत्रु अशुभ एकम # म अशुभ स्व वर्ण राशि कन्या पति बुध एकनाथ मिथुन वश्य बिना सिंह व धन नक्षत्र चित्रा युजि मध्य वैश्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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