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________________ ३३४ ] [ मुहूर्तराज साधक अक्षर - पु, पू साध्यजिन | तारा तारा | योनि | वर्ग विंशोपक गण राशि नाडी देव कन्या आद्य साध्यनाम स्वकीय विरुद्ध महिष अश्व लभ्य । ६,८,१ राक्षस * | आद्यवेध मध्यम श्रेष्ठ मध्यम | शुभ स्व | श्रेष्ठतर श्रेष्ठतर | वेध अशुभ अशुभ अशुभ वेध |श्रेष्ठ श्रेष्ठ मध्यम मध्यम १ श्री ऋषभदेवजी २ श्री अजितनाथजी ३ श्री सम्भवनाथजी ४ श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी ८ श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी ११ श्री श्रेयांसनाथजी १२ श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी १५ श्री धर्मनाथजी १६ श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी |श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी २४ श्री महावीरस्वामीजी अशुभ वैर प्रीति |वेध अशुभ मध्यम सम स्व | सम अशुभ शुभ शत्रु अशुभ वेध कुवैर शभ सम अशुभ शत्रु वेध मध्यम शत्रु अशुभ वेध वैर श्रेष्ठ मध्यम |स्व वेध राशि पति बुध एकनाथ मिथुन वर्ण वैश्य वश्य बिना सिंह व धन के नक्षत्र हस्त युजि मध्य कन्या Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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