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मुहूर्तराज ]
[२६७ कहते हैं। इन इष्टघटीपलों से यह तात्पर्य है कि इष्ट स्थान पर सूर्योदय हुए इतनी घटी एवं पलें व्यतीत हो चुकी हैं अथवा यों कहना चाहिए सूर्य पूर्वक्षितिज से उदित होकर आकाशमण्डल में अमुक घटी पलात्मक चढ़ चुका है। इस विषय में स्पष्टतया ज्ञानार्थ उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है। उदाहरण
॥ॐ अर्ह॥ श्री गौतम गणधराय नमः॥ सं. २०३९ (वि.सं.) शके १९०४ रवि दक्षिणायन श्रावण शु. १२ रविवार मूल नक्षत्र, दिनमान ३३।१० प्रातः १०-४५ दि. १-८-८२ को आहोर में किसी शुभ कार्य को करना है अतः इस समय से सूर्योदय से इष्टघटीपल, सूर्यादिग्रह स्पष्टीकरण, लग्नानयन, षड्वर्गसाधन आदि ज्ञात करने हैं।
उक्त उदाहरण में सर्वप्रथम स्थानीय सूर्योदय समय ज्ञात करना पड़ेगा जिसकी विधि यह हैस्थानीय सूर्योदय ज्ञान विधि
दिनमान की घटि एवं पलों में ५ का भाग लगाने पर सूर्यास्त समय निकलता है और उसे १२ में घटाने पर सूर्योदय समय आ जाता है। उदाहरण में प्रदत्त दिनमान ३३ घ. १० पलों में ५ का भाग देने पर ६ घं. ३८ मिनट आए यह सूर्यास्त का स्थानीय समय हुआ और इसे १२ में से घटाने पर ५ घं. २२ मि. शेष रहे यह सूर्योदय स्थानीय समय हुआ। स्थानीय इष्ट समय ज्ञान विधि... इष्ट समय १०-४५ प्रातः है यह स्टैण्डर्ड समय है। समयान्तर समीकरण में जालोर नगर के आगे ३८ मि. मध्यमान्तर मिनटें लिखी हैं और इसके पूर्व कोई चिन्ह नहीं अतः इन मिनटों को १०-४५ में से घटाया तो शेष १० घं. ७ मि. रहे। चूंकि आहोर नगर जालोर का समीपवर्ती है अतः आहोर के लिए भी ३८ मिनटें ही घटानी चाहिए।
१० घं. ३८ मि. में अब वेलान्तर संस्कार करना है। पंचांगों में वेलान्तर सारणी लिखित रहती है। हमारे उदाहरण की अंग्रेजी तारीख १ अगस्त है अतः अगस्त मास के ५ तारीख पहले कोष्ठक में वेलान्तर सारणी में ५ घं. लिखा है अतः हम विपरीत क्रिया से १०-७ में से ५ मि. घटाईं शेष १० घं. २ मि. रहे यह इष्ट स्थानीय समय हुआ। ततः १० घं. २ मि. में से स्थानीय सूर्योदय ५ घं. २२ मि. घटाने पर शेष ४ घं. ४० मि. रहे इन्हें २॥ से गुणित करने पर।
४ घं. X २॥ = १० घटी ० पल ४० मि. X २॥ = १०० पलें = = १ घ. ४० पलें = १० घटी. ० पल १ घटी ४० पलें = ११ घटी. ४० पलें यह इष्ट हुआ
१००
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