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________________ १५८ ] [ मुहूर्तराज नव्यवस्त्रपरिधानमुहूर्त - (मु.चि.न.प्र. श्लो. १० वाँ) पौष्ण ध्रुवाश्विकरपंचकवासेज्यादित्ये प्रवालरदशंखसुवर्णवस्त्रम् । धार्य विरिक्तशनिचन्द्रकुजेऽह्नि, रक्तंभौमे धुवादिति युगे सुभगा न दध्यान् ॥ अन्वय- पौष्णध्रुवाश्विकरपंचकवासवेज्यादित्ये (रेवती रोहिण्युत्तरात्रयाश्विनी हस्तचित्रास्वाती-विशाखानुराधा) धनिष्ठापुष्यपुनर्वसु नक्षत्रेषु) तथा कुजशनि चन्द्रव्यतिरिक्तेऽह्नि प्रवालरदशंखसुवर्णवस्त्रम् धार्यम्, भौमे च रक्तम् (वस्त्रम्) सुभगा ध्रुवसंज्ञकपुनर्वसुनक्षत्रेषु प्रवालादिकं न दध्यात् ॥ अर्थ - रेवती, ध्रुवसंज्ञक नक्षत्रों, अश्विनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, अनुराधा, धनिष्ठा, पुष्य एवं पुनर्वसु में तथा शनि, सोम और मंगल इनको छोड़कर अन्य वारों में प्रवाल (मूंगा) हाथी दांत के कड़े, शंख सुवर्ण एवं वस्त्र धारण करना शुभ है। मंगलवार को लालवस्त्र धारण किया जा सकता है। किन्तु सौभाग्यवती स्त्री को रोहिणी तीनों उत्तरा पुनर्वसु एवं पुष्य में प्रवालादि धारण नहीं करना चाहिए। नूतनवस्त्रधारण के विषय में - (श्रीपति) रोहिणीषु करपंचकेऽश्विमे व्युत्तरेऽपि च पुनर्वसुद्वये । रेवतीषु वसुदैवते शुभे नव्यवस्त्रपरिधानमिष्यते ॥ जीर्णं रवौ सततमम्बुभिरार्द्रमिन्दौ, भौमे शुचे, बुधदिने च भबेद्धनाय । ज्ञानाय मन्त्रिणि, भृगौ प्रियसंगमाय मन्दे मलाय व नवाम्बर धारणं स्यात् ॥ अर्थ - रोहिणी, हस्तादि पाँच नक्षत्र, अश्विनी, तीनों उत्तरा, पुनर्वसु, पुष्य, रेवती, धनिष्ठा एवं शुभवारों में नूतन वस्त्रधारण करना श्रेयस्कर है। अब प्रत्येक वारों में वस्त्रधारण के शुभाशुभफल कहे जाते हैं। रवि को वस्त्रधारण करने से वह वस्त्र शीघ्र जीर्ण शीर्ण हो जाता है। सोम को धारित वस्त्र हमेशा जल से भीगा ही रहता है। मंगल को वस्त्रधारण से शोक और बुध को वस्त्र धारण करने से धनलाभ होता है। गुरु को धारित वस्त्र ज्ञान के लिए, शुक्र को प्रियसंगम के लिए है, किन्तु शनिवार को धारित वस्त्र मैला ही रहता है। नवधाविभक्त वस्त्र के दग्धादिकता से शुभाशुभफल - (मु.चि.न.प्र. श्लो ११ वाँ) वस्त्राणां नवभागकेषु च चतुष्कोणेऽमराः राक्षसः , मध्यत्र्यंशगताः नरास्तु सदशे पाशे च मध्यांशयो दग्धे वा स्फुटितेऽम्बरे नवतरे पङ्कादिलिप्ते न सत् रक्षोंऽशे नृसुरांशयो शुभमसत्सर्वांशके प्रान्ततः ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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