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श्रु० १, अ० २, उ० ३ गाथा २ ६८
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ख
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सूत्रकृतांग-सूची
सूर्यास्त के पश्चात् विहार करने का सर्वथा निषेध ( इर्या समिति ) शून्यगृह संम्बन्धी विधि ( वसति एषणा ) निर्दोष वसति ( वसति एषणा )
राज- संसर्ग का निषेध ( उष्णोदकसेवी विशेषण )
गाक
१
कलह निषेध ( अठारह पाप में )
समभावी श्रमण की आचार विधि मद निषेध
नरक गति में जाने वाले और मोक्ष गति में जाने वाले उत्तम धर्म का आराधन
विषय वासनापर विजय प्राप्त करने वाला ही धर्माराधक है धार्मिक ही दूसरे को धार्मिक बना सकता हैं
भुक्त भोगों के स्मरण का निषेध ( चौथा महाव्रत ) विकथा, प्रश्नफल, दृष्टि की भविष्यवाणी आदि का कथन धनोपार्जन के उपाय बताने का और ममत्व का निषेध अनुत्तर धर्म के आराधन का उपदेश ( भाषा समिति ) कषाय विजय का उपदेश, संयमी की महिमा ममत्व निषेध
सत्कार्य-संवर-धर्म और इन्द्रिय विजय का उपदेश आत्म कल्याण की दुर्लभता
भ. महावीर कथित सामायिक का अश्रवरण या अनाचार ही
भवभ्रमण का कारण है
गुरू का निर्दिष्ट मुक्ति मार्ग
तृतीय उद्देशक
संवर और निर्जरा से ही पंडित की मुक्ति
स्त्री त्यागी - स्त्री त्याग से ही मुक्ति, रोग का कारण भोग
ब्रह्मव्रत महाव्रत है
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