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________________ उ० ३ सूत्र ११ ८५० बृहत्कल्प-सूची ख- सुरा आदि के भाण्डवाले स्थान में ग- पानी-पात्र वाले स्थान में घ- दीपक, अग्नि आदि जलनेवाले स्थान में ङ- दूध, दही आदि खाद्य पेय वाले स्थान में-- वसति ग्रहणेषणा निर्ग्रन्थियों के लिये निषिद्ध निवास स्थान निर्ग्रन्थियों के लिये विहित निवास स्थान संघ व्यवस्था १३ सागारिक-ठहरने के लिए स्थान देने वाले स्थान स्वामी का निर्णय १४-२८ आहार ग्रहणैषणा-निर्ग्रन्थ-निग्रन्थियों के लिये सागारिक-मकान मालिक के आहार सम्बन्धी विधि-निषेध वस्त्र परिभोगैषणा निर्ग्रन्थियों के लेने के योग्य पांच प्रकार का वस्त्र रजोहरण परिभौगेषणा निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों के लेने योग्य पाँच प्रकार के रजोहरण तृतीय उद्देशक संघ-व्यवस्था निग्रन्थी के उपाश्रय में निर्ग्रन्थ के बैठने आदि का निषेध २ निर्ग्रन्थ के उपाश्रय में निर्ग्रन्थी के बैठने आदि का निषेध एषणा समिति चर्म कल्प निग्रंथ-निर्ग्रन्थियों के चर्म सम्बन्धी विधि निषेध वस्त्र कल्प ग्रहणैषणा-परिभोगैषणा ७-१० निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों के वस्त्र सम्बन्धी विधि निषेध निग्रन्थों के लिये गुप्ताङ्ग आच्छादक आभ्यन्तर वस्त्र कौपीन आदि रखने का निषेध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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