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________________ उ० ४ सूत्र १ ८५१ बृहत्कल्प-सूची १२ निर्ग्रन्थियों के लिए आभ्यन्तर वस्त्र रखने का विधान १३-१४ निर्ग्रन्थी की वस्त्र ग्रहण विधि १५-१६ निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों की दीक्षा के समय वस्त्र पात्र रजोहरण लेने की मर्यादा वर्षाकाल में [निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों को] वस्त्र लेने का निषेध हेमन्त और ग्रीष्म में [निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों को] वस्त्र लेने का विधान रात्निकों के लिये [निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों की] वस्त्र लेने की मर्यादा रात्निकों के लिये शय्या संस्तारक लेने की मर्यादा संघ-व्यवस्था रानिकों को वन्दना करने की मर्यादा गृहस्थ के घर में क- बैठने आदि के सम्बन्ध में [निर्ग्रन्थ-निर्गन्थियों के] विधि निषेध ख- प्रश्नोत्तर आदि के सम्बन्ध में २३-२७ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों के शय्या संस्तारक लेने देने सम्बन्धि नियम निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों की भूल हुई वस्तुओं के परिभोग सम्बन्धि नियम एषणा समिति-वसति कल्प २६-३१ स्वामी रहित स्थानों में निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों के ठहरने की विधि ३२ क- प्रायश्चित्त सूत्र, आहार गवेषणा सेना शिविरों के समीपवर्ती ग्रामों से आहार लाने की विधि ख- रात्रि में रहने का निषेध ग- रहे तो प्रायश्चित्त निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों के भिक्षाचर्या क्षेत्र की मर्यादा चतुर्थ उद्देशक २८ प्रायश्चित्त सूत्र-अनुद्घातिक-प्रायश्चित्त के अधिकारी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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