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________________ उ० १ सूत्र ४२ २५ २६ २७ २८ २६ ३० ३१-३२ ३३.३४ ३५. ३६ ३८ बृहत्कल्प- सूचि गृहस्थ के निवास स्थान में निग्रंथ-निर्ग्रन्थी निवास निषेध गृहस्थ रहित स्थान में निर्ग्रथ - निर्ग्रन्थी के निवास का विधान केवल स्त्री निवासवाले स्थान में निग्रंथ निवास निषेध केवल पुरुष निवास वाले स्थान में निवास विधान केवल पुरुष निवास वाले स्थान में निर्ग्रन्थी - निवास निषेध केवल स्त्री निवास वाले स्थान निर्ग्रन्थी निवास विधान प्रतिबद्ध - शय्या ठहरने के स्थान में निग्रंथ निर्ग्रन्थी निवास सम्बन्धी विधिनिषेध. ८४८ गृहमध्य मार्गवाले स्थान में निग्रंथी निग्रंथी निवास सम्बन्धी विधि निषेध. संघ व्यवस्था कलह उपशमन-क्षमायाचना [ आराधना- विराधना ] ईया समिति विहार विषयक कल्प वर्षा ऋतु में निर्ग्रथ निग्रंथियों के विहार का निषेध प्रायश्चित्त सूत्र क- राजा रहित राज्य में और शत्रु राज्य में निर्ग्रथ-निर्ग्रन्थियों के जाने आने का निषेध ख- जावे आवे तो प्रायश्चित्त एषणा समिति श्राहार, वस्त्र, पात्र, रजोहरण ३६-४२ क- आहार गवेषणा ख- वस्त्र, पात्र और रजोहरण, ग्रहणैषणा ग- गोचरी के लिये गये हुए निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों को वस्त्र, पात्र, रजोहरणा दिलवाने की विधि. घ- स्वाध्याय भूमि के निमित्त गये हुए - शेष उपरोक्त के समान ङ. स्थण्डिल - शौच भूमि के निमित्त गये हुए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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