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________________ प्रथम उद्देशक एषणा समिति एषणा ग्रहणैषणा श्राहार कल्प कदलीफल के सम्बन्ध में विधि निषेध एषणा - परिभोगैषणा उपाश्रय कल्प ग्राम-यावत्[- राजधानी में रहने की काल मर्यादा ६-६. १०-११ ग्राम यावत्- [ राजधानी में निग्रंथी निवास सम्बन्धी विधि-निषेध १२-१३ दुकान यावत्-दो दुकानों के मध्य के स्थान में निग्रंथ - निग्रंथी निवास सम्बन्धी विधि-निषेध. १-५ १४-१५ कपाट रहित स्थान में निग्रंथ - निग्रंथी निवास सम्बन्धी विधि निषेध एषणा - परिभोगेषणा पात्र कल्प १६-१७ प्रश्रवण पात्र [ निग्रंथ - निग्रंथी ] सम्बन्धी विधि निषेध एपणा - परिभोगैषणा वस्त्रकल्प चिलमिलिका परदा [निग्रंथ - निग्रंथी] सम्बन्धी विधिनिषेध एषणा स्थान आचार कल्प जलाशय तट पर [ निग्रंथियों के लिए ] निषिद्ध कृत्य एषणा - गवेषणा वसति उपाश्रय कल्प १८ बृहत्कल्प विषय सूचि १६ २०-२१ चित्र सहित और चित्र रहित वसति में निर्गंधी निवास सम्बन्धी विधि निषेध एषणा - परिभोगैषणा वसति निवास २२-२३ स्त्री के साथ निग्रंथी वसति निवास सम्बन्धी विधि-निषेध पुरुष के साथ निर्ग्रन्थ वसति निवास सम्बन्धी विधि-निषेध २४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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