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अ० ३२ गाथा ४७
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उपसंहार - चरणविधि की अराधना से भाव - मुक्ति
बत्तीसवाँ प्रमाद स्थान अध्ययन
दुःख से मुक्त होने की विधि का श्रवण समाधिमरण के साधन
दुःख के कारण
दुःख का समूल नाश
मोह से मुक्त होने के उपायों का कथन रस सेवन का निषेध, रस और काम का सम्बन्ध रस को फल की और काम को पक्षी की उपमा इन्द्रियों की विषयाभिलाषा को दावाग्नि की उपमा राग शत्रु को जीतने के उपाय, राग को व्याधि की उपमा एकान्त शयन आदि को औषधि की उपमा
ब्रह्मचारी के लिये निषिद्ध स्थान, ब्रह्मचारी को मूषक की उपमा और स्त्री को बिडाल की उपमा
स्त्री को विकृत दृष्टि से देखने का निषेध ब्रह्मचारी के हितकारी
ब्रह्मचारी के लिये एकान्तवास प्रशस्त है मनोहर स्त्रियों का त्याग दुष्कर है स्त्री-त्याग को समुद्र की उपमा
शेष वस्तुओं के त्याग को नदी की उपमा
उत्तराध्ययन सूची
दुःख का मूल काम और उसके विजेता- वीतराग
काम को किपाकफल की उपमा
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विषयों से विरक्त होने का उपदेश
२२-३४ चाक्षुष विषयों से विरक्ति, पद्म-पत्र के समान अलिप्त रहने का
उपदेश ३५-४७ श्रोत्रेन्द्रिय के विषयों से विरक्ति
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