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________________ उत्तराध्ययन-सूची ८१२ अ० ३० गाथा २० ४ दण्ड, गर्व और शल्य से निवृत्ति ५ उपसर्ग सहन विकथा, कषाय, संज्ञा और दुर्ध्यान द्वय से निवृत्ति ७ क- व्रतों और समितियों में प्रवृत्ति ख- इन्द्रियों के विषयों से और क्रियाओं से निवृत्ति ८ क- लेश्या और आहार के ६ कारणों से निवृत्ति ख- ६ काय के आरम्भ से निवृत्ति है क- पिण्ड अवग्रह प्रतिमाओं में प्रवृत्ति ख- भय स्थानों से निवृत्ति १० क- मद स्थानों से निवृत्ति - ख- ब्रह्मचर्य गुप्तियाँ और भिक्षु-धर्मों में प्रवृत्ति -११ उपासक और भिक्षु-प्रतिमाओं में प्रवृत्ति १२ क्रियास्थान भूतग्राम और परमाधार्मिकों से निवृत्ति १३ क- गाथा षोडशक में प्रवृत्ति ख- असंयमों से निवृत्ति १४ क- ब्रह्मचर्य और ज्ञाता अध्ययनों में निवृत्ति ख- असमाधि स्थानों से निवृत्ति १५ सबल दोषों से और परिषहों से निवृत्ति १६ क- सूत्रकृताङ्ग के अध्ययनों के स्वाध्याय में प्रवृत्ति ख- देव विषयक निवृत्ति १७ क- भावनाओं में प्रवृत्ति ख- दशा कल्प और व्यवहार के अध्ययनों में प्रवृत्ति-निवृत्ति १८ क- अनगार गुणों में प्रवृत्ति ख- आचार प्रकल्प के अध्ययनों में प्रवृत्ति-निवृत्ति १६ पापश्रुत और मोह स्थानों से निवृत्ति २० क- सिद्धातिशयों में प्रवृत्ति ख- आशातनाओं से निवृत्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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