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अ० १४ गाथा २८
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उत्तराध्ययन-सूची
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८-११
ख- स्वयं को कीचड़ में फंसे हुए गज की उपमा देना ३१-३३ क- ब्रह्मदत्त को पुनः आर्य कर्मों के लिये प्रेरित करना
ख- चित्त मुनि का जाना
ब्रह्मदत्त की नरक में उत्त्पत्ति चित्त की मुक्ति
चौदहवाँ इषुकारीय अध्ययन ___क- पुरोहित पुत्रों का पूर्वभव
ख- इषुकार राजा, कमलावती रानी, भृगु पुरोहित, जसा भार्या
_और दो पुत्र इन ६ का जिनोक्त मार्गानुसरण ४-७ क. पुरोहित पुत्रों को जाति स्मरण
ख- संसार से विरक्ति ग- माता-पिताओं से प्रत्रज्या के लिये अनुमति मांगना
गृहस्थ के आवश्यक कृत्य पूर्ण करके प्रव्रज्या लेने का पिता
का सुझाव १२-१५ पुरोहित पुत्रों का अविलम्ब प्रव्रज्या ग्रहण करने का दृढ़
संकल्प पुरोहित का पुनः पुत्रों को समझाना पोद्गलिक सुख की प्राप्ति प्रव्रज्या का उद्देश्य नहीं अपितु
आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति प्रव्रज्या का उद्देश्य है पिता द्वारा आत्मा के अभाव का प्रतिपादन पुत्रों द्वारा आत्मा के अस्तित्व की सिद्धि अज्ञान अवस्था में की हुई भूल की पुनरावृत्ति न करने का
संकल्प २१-२५ पुत्रों द्वारा जीवन को सफल करने का निश्चय
वृद्ध होने पर सहदीक्षा का पिता का प्रस्ताव २७-२८ भविष्य को अनिश्चित समझकर अविलम्ब प्रव्रजित होने
का निश्चय
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