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१६४ क
आचारांग-सूची
५४ श्रु०२, अ०१० उ०१ सू०१६५. नवम निषीधिका अध्ययन. प्रथम उद्देशक निषोधिका' सप्तैकक जीव-जन्तुवाले स्थान में स्वाध्याय करने का निषेध द्वितीय शय्यषणा अध्ययन-सूत्र ६४ के ख से च पर्यन्त और सूत्र ६५ की पुनरावृत्ति
एक से अधिक स्वाध्याय स्थान में जावें तो बैठने की विधि सूत्र संख्या २
दशम उच्चार-प्रश्रवण अध्ययन. प्रथम उद्देशक
तृतीय उच्चार-प्रश्रवण सप्तैकक १६५ क मलवेग से व्यथित श्रमण के पास मलोत्सर्ग के लिए स्वयं
का वस्त्र खंड या पात्र न हो तो स्वधर्मी श्रमण से याचना का विधान जीव-जन्तुवाली भूमि में मलोत्सर्ग करने का निषेध जीव-जन्तु रहित _
विधान एक स्वधर्मी के लिए बनाई हुई शौचभूमि में मलोत्सर्ग का निषेध अनेक स्वर्मियों एक स्वमिनी अनेक स्वमिनियों " श्रमणादि को गिनकर " पुरुषान्तर कृत होनेपर मलोत्सर्ग का विधान श्रमण समूह के लिए बनाई हुई शौचभूमि में मलोत्सर्ग करने का निषेध
Ps # 8
१-स्वाध्याय के लिए याचित स्थान
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