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आचारांग-सूची
५५ श्रु०२, अ०११ उ०१ सू०१६८ क्रीतादि दोषयुक्त उच्चार-प्रश्रवणभूमि में मलोत्सर्ग निषेध कंदादि जिस भूमि में स्थानांतरित किए गए हों ऐसी भूमि में अनेक पदार्थ जिस भूमि में " " " सजीव भूमि में मलोत्सर्ग करने का निषेध जिस भूमिमें कंदादी फेंके जाते हों ऐसी भूमिमें म० नि० " " में साली आदि धान्य बिखरे हों " " " " में कचरे का ढेर हो भोजन बनाने के स्थान में मलोत्सर्ग करने का निषेध श्मशान में बगीचे आदि में अट्टालिका आदिमें तिराहे चोराहे आदि में कोयला आदि बनाने के स्थान में जलाशयों में खानों में शाक पैदा होने वाले स्थानों में " धान्यादि पैदा होने वाले स्थानों में "
पत्र, पुष्प फलादि पैदा होने वाले स्थानों में १६७ एकान्त स्थान में मलोत्सर्ग की विधि सूत्र संख्या ३
इग्यारहवां शब्द अध्ययन. प्रथम उद्देशक
चतुर्थ शब्द सप्तकक १६८ क मृदंग आदि वाद्य सुनने के लिए जाने का निषेध
वीणा
ताल घ शंख
644 सथ में 98444
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