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________________ अ० ६ गाथा ३६ ७८८ ७८८ उत्तराध्ययन-सूची M Nx mr ग्रहणषणा १३ शुद्धषणा [लवण-सामुद्रिक, स्वप्न और अंग विद्या के प्रयोग का निषेध] १४-१५ क- विद्या प्रयोग करने वालों की असुरों में उत्पत्ति ख- भव भ्रमण ग. बोधी की दुर्लभता १६-१७ लोभी की दशा १८-१६ स्त्री की आसक्ति का निषेध २० उपसंहार-कपिल का आख्यान, धर्म आराधकों की उभय लोक आराधना नवम नमि-प्रव्रज्या अध्ययन नमि राजा का जातिस्मरण । पुत्र को राज्य भार देकर नमि राजा का अभिनिष्कमण मिथिला में कोलाहल नमि राजा का गृहत्याग मिथिला की दशा पर ध्यान देने के लिये ब्राह्मण रूप में शकेन्द्र की प्रार्थना ८-१० नमि राजा का उत्तर ११-१२ विरहानल से दग्ध अन्तःपुर की ओर ध्यान देने के लिये इन्द्र का निवेदन १३-१७ नमि राजा का उत्तर १८-३० क- नगर की सुरक्षा के लिये प्रार्थना ख- नमि राजा का उत्तर ३१ राजाओं के दमन के लिये इन्द्र की प्रार्थना ३२-३६ नमि राजा का उत्तर ३७-३८ यज्ञ और ब्रह्म-भोज करने के लिये इन्द्र की प्रार्थना ३६ नमि राजा का उत्तर ३-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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