SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 817
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अ० १० गाथा २७ ७८६ उत्तराध्ययन-सूची ४१ नमन गृहस्थाश्रम में गृहस्थधर्म की आराधना करते रहने के लिये प्रार्थना नमि राजा का उत्तर ४२-४३ गृहस्थ जीवन में ही धर्म आराधना करने के लिए प्रार्थना ४४-४५ नमि राजा का उत्तर ४६-४७ कोश की वृद्धि के लिये प्रार्थना ४८-५० नमि राजा का उत्तर प्राप्त भोगों का परित्याग न करने के लिये प्रार्थना ५२-५४ क्रोधादि कषायवालों की दुर्गति ५५-६१ ब्राह्मण रूप त्याग कर इन्द्र ने नमि राजा से क्षमा याचना तथा प्रशंसा, नमि राजा की प्रव्रज्या ६२ उपसंहार-नमि राजा के समान बुद्ध पुरुषों की भोगों से निवृत्ति दशम द्रुम-पत्रक अध्ययन मनुष्य जीवन को द्रुम-पत्र की उपमा ,, को कुशाग्र बिन्दु की उपमा पुराकृत कर्मरज को दूर करने के लिये उपदेश मनुष्य भव की दुर्लभता ५-१४ पृथ्वीकाय-यावत्-नरक पर्यंत भव ग्रहण शुभाशुभ कर्मों से भवभ्रमण आर्य जीवन दुर्लभ परिपूर्ण इन्द्रियाँ दुर्लभ धर्म श्रवण दुर्लभ श्रद्धा दुर्लभ आचरण दुर्लभ २१-२६ श्रोत्रन्द्रियादि सर्व बलों की हानि रोगों की प्रचुरता १६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy