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________________ उत्तराध्ययन-सूची अ० ८ गाथा ११ १४-१५ तीन वणिकों का उदाहरण १६ चार गतियों की लाभ-हानि से तुलना १७-१८ बाल व्यक्ति की दो गति बाल और पण्डित की तुलना का उपदेश सुव्रत की—मनुष्य गति २१-२२ भिक्षु और गृहस्थ को तीन वणिकों के उदाहरण का चिन्तन करने के लिये-उपदेश २३ क- समुद्र का उदाहरण ख- देव और मानव भोगों की तुलना २४ योग क्षेम स्वहित का चिन्तन । २५-२७ काम भोगों से अनिवृत्त और निवृत्त की गति २८-३० उपसंहार-क- बाल और पण्डित, धर्म और अधर्म की तुलना ख- बाल और पण्डित की गति अष्टम कापिलीय अध्ययन दुर्गति-निषेध के उपाय की जिज्ञासा भिक्षु का लक्षण समाधान के लिये मुनि का कथन भिक्षु का लक्षण क. बाल व्यक्ति की आसक्ति ख- मक्षिका का उदाहरण क- काम-भोगों का त्याग अति कठिन ख- सुव्रत गृहस्थ और साधु का भवसागर-तरण ग- सांयात्रिक का उदाहरण बाल-व्यक्ति की दुर्गति ८-१० क- प्राणवध निषेध ख- पानी के प्रवाह का उदाहरण ११ एषणा समिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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