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________________ उत्तराध्ययन-सूची ७८६ अ० ७ गाथा १३ २६ शीलवान बहुश्रुत अन्तिम समय में उद्विग्न नहीं होते ३०-३२ पण्डितों का तीन सकाम-मरणों में से एक सकाम-मरण षष्ठ क्ष ल्लक निग्रन्थ अध्ययन' अज्ञानियों का दुखमय जीवन मैत्री भावना का उपदेश अशरण भावना का उपदेश त्याग का फल [वैकल्पिक फल] अशरण भावना हिंसा-निषेध अदत्तादान का निषेध ९-१० अक्रियावाद से मुक्ति की भ्रान्त मान्यता ११ केवल भाषा ज्ञान या मन्त्रविद्या से मुक्ति नहीं १२ आसक्ति से दुःख १३ दीक्षा ग्रहण करने के लिए उपदेश १४-१५ केवल कर्मक्षय के लिये निर्दोष आहारादि से देह धारण करें १६ क- अत्यल्प संग्रह का भी निषेध __ख- पक्षी का उदाहरण गवेषणा का उपदेश १८ उपसंहार-ज्ञात पुत्र वैशालीक भ० महावीर का यह उपदेश सप्तम औरभ्रीय अध्ययन १-३ महमानों के निमित्त पाले जाने वाले मेष (मेण्ढे) का उदाहरण ४-६ मेण्ढे के समान बाल व्यक्ति की मृत्यु १० क- काकिणी का उदाहरण ख- अाम्र का उदाहरण ११-१३ देवताओं और मनुष्यों के काम-भोगों की तुलना rxury saror १ इस अध्ययन का दूसरा नाम “पुरुष विद्या" है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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