SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 813
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अ० ५ गाथा २८ ७८५ उत्तराध्ययन-सूची ३ क- देहधारियों का बालमरण अनेक वार ख- उत्कृष्ट पण्डित मरण एक बार ४ बाल-व्यक्ति क्रूर कर्म करनेवाला होता है ५-६ बाल-व्यक्ति का पुनर्जन्म में अविश्वास बाल-व्यक्ति की काम-भोगों में आसक्ति ८ बाल-व्यक्ति द्वारा त्रस-स्थावर जीवों की अर्थ-अनर्थ हिंसा क- बाल-व्यक्ति के लक्षण ख- बाल-व्यक्ति मद्यमांस के आहार को श्रेष्ठ मानता है क- बाल-व्यक्ति की आसक्ति ख- शिशुनाग-अलसिया का उदाहरण बाल-व्यक्ति की तरुण अवस्था में परलोक गति बाल-व्यक्ति की नरक गति बाल-व्यक्ति को अन्तिम समय में पश्चात्ताप ११-१५ विषम पथगामी शाकटिक का उदाहरण १६ क- बाल-व्यक्ति की अकाम-मृत्यु ख- द्य तकार का उदाहरण क- बाल-व्यक्तियों के अकाम-मरण का वर्णन समाप्त ख- पण्डितों के सकाम-मरण का वर्णन प्रारम्भ संयत व्यक्तियों का पण्डित मरण सभी भिक्षुओं का और सभी गृहस्थों का पण्डित मरण नहीं होता भिक्षु और गृहस्थ के संयमी जीवन की तुलना भिक्षुओं की भी दुर्गति सुव्रत गृहस्थ की सुगति-देवगति २३-२४ गृहस्थ का जाल पण्डित मरण और सुगति २५ संवृत भिक्षु की दो गति २६-२७ दिव्य जीवन का वर्णन २८ भिक्षु और गृहस्थ की देवगति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy