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________________ अ० . दशवकालिक-सूची ७६६ अ०७ गाथा ५ चौदहवो स्थान-गृहि भाजन ५०-५२ गृहस्थ के भाजन में भोजन करने से उत्पन्न होनेवाले दोष और उसका निषेध पन्द्रहवाँ स्थान-पर्यंक ५३ आसन्दी, पर्यंक आदि पर बैठने, सोने का निषेध ५४ आसन्दी आदि विषयक निषेध और अपवाद ५५ आसन्दी और पर्यंक के उपयोग के निषेध का कारण सोलहवाँ स्थान ---निषद्या ५६-५६ गृहस्थ के घर में बैठने से होनेवाले दोष, उसका निषेध और अपवाद सतरहवाँ स्थान-स्नान ६०-६२ स्नान से उत्पन्न दोष और उसका निषेध ६३ गात्रोद्वर्तन का निषेध अठारहवाँ स्थान--विभूषावर्जन ६४-६६ विभूषा का निषेध और उसके कारण ६७-६८ उपसंहार आचारनिष्ठ श्रमण की गति सप्तम वाक्य शुद्धि अध्ययन (भाषा-विवेक) १ भाषा के चार प्रकार, दो के प्रयोग का विधान और दो के प्रयोग का निषेध २ अवक्तव्य सत्य, सत्यासत्य, मृषा और अनाचीर्ण व्यवहार भाषा बोलने का निषेध ३ अनवद्य आदि विशेषणयुक्त व्यवहार और सत्य भाषा बोलने का विधान ४ सन्देह में डालने वाली भाषा या भ्रामक भाषा के प्रयोग का निषेध ५ सत्याषाभाषा को सत्य कहने का निषेध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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