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________________ अ०६ गाथा २८ ७६७ दशवकालिक सूची षष्ठ महाचार कथा अध्ययन १-२ निग्रंथ के आचार-गोचर की पृच्छा ३-६ निग्रंथों के आचार की दुश्चरता और सर्वसामान्य आचरणी यता का प्रतिपादन ७ आचार के अठारह स्थानों का निर्देश पहला स्थान:--- अहिंसा ८-१० अहिंसा की परिभाषा, जीव-वध न करने का उपदेश, अहिंसा के विचार का व्यावहारिक आधार दूसरा स्थान :--- सत्य ११-१२ मृषावाद के कारण और मृषा न बोलने का उपदेश मृषावाद वर्जन के कारणों का निरूपण तीसरा स्थान :- अचौर्य १३-१४ अदत्त ग्रहण का निषेध । चोथा स्थान :- ब्रह्मचर्य २५.१६ अब्रह्मचर्य सेवन का निषेध पांचवां स्थान :- अपरिग्रह १७-१८ सन्निधि का निषेध, सन्निधि चाहने वाले श्रमण की गृहस्थ से तुलना धर्मोपकरण रखने के कारणों का विधान परिग्रह की परिभाषा निग्रंथों के अनमत्व का निरूपण छठा स्थान--रात्रि-भोजन का त्याग २२ एक भक्त भोजन का निर्देशन २३-२५ रात्रि-भोजन का निषेध और उसके कारण सातवां स्थान ---पृथ्वीकाय की यतना २६.२८ श्रमण पृथ्वीकाय की हिंसा नहीं करते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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