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________________ अ० ५ उ० १ गाथा ४४ ७ ६३ दशवकालिक-सूची ل ا मंत्रणागृह के समीप जाने का निषेध. प्रतिक्रुष्ट आदि कुलों से भिक्षा लेने का निषेध. साणी (चिक) आदि को खोलने का विधि-निषेधः मल-मूत्र की बाधा को रोकने का निषेध. अंधकारमय स्थान में भिक्षा लेने का निषेध. पुष्प, बीज आदि बिखरे हुए और अधुनोपलिप्त आंगण में जाने का निषेव-एषणा के नवें दोष ---- "लिप्त" का वर्जन. मेष, वत्स आदि को लांधकर जाने का निषेध. २३-२६ गृह-प्रवेश के बाद अवलोकन, गमन और स्थान का विवेक. (२) ग्रहणेषणा भक्तपान लेने की विधि आहार-ग्रहण का विधि-निषेध. एषणा के दसवें दोष “छदित" का वर्जन. जीव-विराधना करते हुए दाता से भिक्षा लेने का निषेध ३०-३१ एषणा के पाँचवें (संहृत नामक) और छ? (दायक नामक) दोष का वर्णन पुरःकर्म दोष का वर्जन ३३-३५ असंसृष्ट और संसृष्ट का निरुपण पश्चात्-कम का वर्जन संसृष्ट हस्त आदि से आहार लेने का निषेध ३७ उद्गम के पन्द्रहवें दोष “अनिमृष्ट" का वर्जन निसृष्ट-भोजन लेने की विधि ३६ गर्भवती के लिए बनाया हुआ भोजन लेने का विधि निषेध - एषणा के छट्टे दोष “ दायक'' का वर्जन ४०-४१ गर्भवती के हाथ से लेने का निषेध ४२-४३ स्तन्य-पान कराती हुई स्त्री के हाथ से भिक्षा लेने का निषेध ४४ एषणा के पहले दोष शंकित" का वर्जन 300 ا mu Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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