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________________ अ० ४ गाथा १२ २० २१ २२ २३ गाथा १ २ mr x ४ ५ w 9 ७ ८ ह १० ७६१ दशवेकालिक सूची तेजस्काय की हिंसा के विविध साधनों से बचने का उपदेश 17 ११ ४ उदेश वायुकाय वनस्पतिकाय काय की हिंसा से बचने का उपदेश. P3 "1 13 अयतनापूर्वक चलने से हिंसा, बंधन और परिणाम. अयतनापूर्वक खड़े रहने से हिंसा बंधन और परिणाम. " बैठने से 33 Jain Education International 11 21 31 सोने से अयतनापूर्वक भोजन करने से हिंसा, बन्धन और परिणाम. 37 "" बोलने से हिंसा प्रवृत्ति में अहिंसा की जिज्ञासा. का निरूपण. आत्मौपम्य-बुद्धि सम्पन्न व्यक्ति और अबंध. ज्ञान और दया ( संयम ) का पौर्वापर्य और अज्ञानी की भर्त्सना. ܕܝ बंधन और मोक्ष का ज्ञान. आसक्ति व वस्तु उपभोग का त्याग. संयोग का त्याग. मुनिपद का स्वीकरण. चारित्रिक भावों की वृद्धि. 17 श्रुति का माहात्म्य और श्रेयस् के आचरण का उपदेश. ५ धर्म-प - फल १२- २५ कर्म से मुक्ति की प्रक्रिया - आत्म शुद्धि का आरोह क्रम. संयम के ज्ञान का अधिकारी. गति-विज्ञान. For Private & Personal Use Only "" "" "" www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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