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________________ अ० ४ गाथा १६ सूत्र 9 १-३ ४-७ ८ १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १६ ७६० चतुर्थ षड् जीवनिका अध्ययन ( जीव- संयम और आत्म-संयम ) जीवाजीवाभिगम षड्जीवनिकाय का उपक्रम, षड्जीवनिकाय नाम निर्देश. पृथ्वी, पानी, अग्नि और वायु की चेतना का निरूपण. वनस्पति की चेतनता और उसके प्रकारों का निरूपण. सजीवों के प्रकार, लक्षण. जीववध न करने का उपदेश. २ चारित्र -धर्म प्राणातिपात विरमण -- अहिंसा महाव्रत का निरूपण और स्वीकार - पद्धति. मृषावाद - विरमण - सत्य महाव्रत का निरूपण और स्वीकार पद्धति. अदत्तादान-विरमण – अचौर्य महाव्रत का निरूपण और स्वीकार पद्धति. अब्रह्मचर्य - विरमण – ब्रह्मचर्य महाव्रत का निरूपण और स्वीकार पद्धति. परिग्रह - विरमण – अपरिग्रह महाव्रत का निरूपण और स्वीकार पद्धति. Jain Education International दशर्वकालिक सूची रात्रिभोजन-विरमण- - व्रत का निरूपण और स्वीकार - पद्धति पांच महाव्रत और रात्रि भोजन विरमण व्रत के स्वीकार का हेतु. ३ यतना पृथ्वीकाय की हिंसा के विविध साधनों से बचने का उपदेश 17 अपकाय ܕܙ For Private & Personal Use Only "7 www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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