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________________ निरया० सूची ७५२ वर्ग ३ अ० ५ ठ- सुभद्रा का भिन्न उपाश्रय में निवास, स्वच्छन्द जीवन, श्रामण्य विराधना, सौधर्मकल्प में उपपात ड- बहुपुत्रिका देवी का नाट्य प्रदर्शन ढ- बहुपुत्रिका देवी की स्थिति ण- देवलोक से च्यवन त- जम्बूद्वीप, भरत, विध्यगिरि, बिभेल संनिवेश, ब्राह्मण कुल में जन्म, सोमा नाम देना, युवा होने पर राष्ट्रकूट से विवाह थ- सोमा का बतीस पुत्रों के पालन पोषण से व्यथित होना द- सोमा का अनगार प्रव्रज्या लेने का संकल्प ध- सुव्रता आर्या का पदार्पण न- सोमा का धर्मश्रवण, श्रमणोपासिका बनना प. सुव्रता आर्या का विहार फ- सुव्रता का पुनः पदार्पण ब- सोमा की अनगार प्रव्रज्या-~-संयम साधना भ- शकेन्द्र के सामनिक देवरुप में उपपात म- देवलोक से च्यवन-महाविदेह में जन्म और निर्वाण पंचम पूर्णभद्र अध्ययन १ क- उत्थानिका-राजगृह, गुणशील चैत्य-भ० महावीर का समव सरण, धर्मदेशनाख- पूर्णभद्र देव का आगमन-नाट्य प्रदर्शन ग- भ० गोतम की जिज्ञासा घ- भ० महावीर द्वारा पूर्व भव वर्णन ङ- जम्बुद्वीप, भरत, मणिवतिका नगरी, चन्द्रोतारण चैत्य च- पूर्णभद्र गाथापति छ- बहुश्रुत स्थविरों का आगमन, धर्म श्रवण, वैराग्य, अनगार प्रव्रज्या, संयम साधना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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