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________________ वर्ग ३ अ० ४ निरया०सूची ज- जातिभोज, ज्येष्ठ पुत्र को कुटुम्ब भार सोपना, वान प्रस्थ तापस बनना झ- अनेक प्रकार के वानप्रस्थ तापस ज- सोमिल का दिशा प्रोक्षिका प्रव्रज्या स्वीकार करना ट- सोमिल का अभिग्रह ठ- सोमिल का काष्ठमुद्रा से मुख बांधना ड- सोमिल के समीप एक देव का आगमन-दुष्प्रव्रज्या कथन, ढ- दुष्प्रव्रज्या के सम्बन्ध में देव से प्रश्न 'ण- देव द्वारा समाधान त- सोमिल का पुनः श्रावक धर्म आराधन थ- शुक्रावतंसक विमान में उपपात द- देवलोक से च्यवन, महाविदेह में जन्म और निर्वाण चतुर्थ बहुपुत्रिका अध्ययन १ क- उत्गानिका--राजगृह-गुणशीलचैत्य, श्रेणिक राजा, महावीर का समवसरण, धर्म-देशना ख- बहुपुत्रिका देव का आगमन ग- भ० गौतम की जिज्ञासा घ- भ० महावीर द्वारा पूर्व भव वर्णन-वाराणसी नगरी,—आम्र शालवन, भद्र सार्थवाह, सुभद्रा भार्या ङ.- सुभद्रा का आर्तध्यान, बंध्यापन से व्याकुलता च- सुब्रता आर्या का पदार्पण छ- एक साधवी संघ का भिक्षार्थ जाना, सुभद्रा की निग्रंथ प्रवचन में रुचि उत्पन्न होना ज- गृहस्थ धर्म की स्वीकृति झ- अनगार प्रव्रज्या लेने का संकल्प अ- सुभद्रा की अनगार प्रव्रज्या, संयम सावना ट. सुभद्रा की शिशु पालन पोषण में अभिरुचि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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