________________
प्राभृत ४ सूत्र २२
सूर्यप्रज्ञप्ति सूची
ख- आदित्य संवत्सर के प्रत्येक अयन में प्रत्येक मण्डल के आयाम विष्कम्भ और बाहुल्य की भिन्नता से अहोरात्र के मुहूर्तों की हानि वृद्धि.
२१ क
२२.
७३३
द्वितीय-प्राभृत
प्रथम प्राभृत प्राभृत
सूर्य की तिरछी गति के सम्बन्ध में अन्य आठ प्रतिपत्तियाँ स्वमत का स्पष्टीकरण
द्वितीय प्रभूत प्राभूत
सूर्य का एक मण्डल से दूसरे मण्डल में संक्रमण इस सम्बन्ध में सम्बन्ध में अन्य दो प्रतिप्रत्तियाँ
तृतीय- प्राभृत-प्राभृत
२३ क- एक मुहूर्त में सूर्य की गति का परिमाण इस सम्बन्ध में अन्य चार प्रतिपत्तियाँ
ख- स्व मान्यता का विशद समर्थन
तृतीय प्राभृत
२४ क सूर्य का ताप क्षेत्र और चन्द्र का उद्योत क्षेत्र इस विषय में अन्य बारह प्रतिपत्तियां
ख- स्वमत निरूपण
चतुर्थ प्राभृत
२५ क - चंद्र और सूर्य का संस्थान दो प्रकार का
ख- विमान-संस्थान और प्रकाशित क्षेत्र का संस्थान
ग- दोनों प्रकार के संस्थानों के सम्बन्ध में अन्य सोलह प्रतिपत्तियाँ घ- स्वमत से प्रत्येक मण्डल में उद्योत और ताप क्षेत्र का संस्थान
तथा अन्धकार क्षेत्र के संस्थान का निरूपण
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org