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१४.
प्राभृत १ सूत्र २०
७३२
सूर्यप्रज्ञप्ति-सूची जघन्य उत्कृष्ट मुहूर्त. अहोरात्र के मुहूर्तों की हानि वृद्धि का हेतु तृतीय प्राभृत-प्राभूत भरत और ऐरवत क्षेत्र के सूर्य का उद्योत क्षेत्र.
चतुर्थ प्राभूत-प्राभृत १५ क- आदित्य संवत्सर के दोनों अयनों में प्रथम से अन्तिम और अन्तिम
से प्रथम पर्यन्त एक सूर्य की गति का अन्तर ख- अन्तर के सम्बन्ध में ६ अन्य प्रतिपत्तियाँ-मान्यताएँ ग- स्व मान्यता का सहेतुक समर्थन
पंचम प्राभूत-प्राभूत १६-१७ क- प्रथम से अन्तिम और अन्तिम से प्रथम मण्डल पर्यंत सूर्य
द्वारा द्वीप-समुद्रों के अवगाहन के सम्बन्ध में पांच अन्य प्रति
पत्तियाँ ख- स्व मान्यता का कथन.
षष्ठ प्राभूत-प्राभूत १८ क- आदित्य संवत्सर के दिन में---एक अहोरात्र में (प्रत्येक मण्डल
में) सूर्य द्वारा स्पर्शित क्षेत्र के सम्बन्ध में अन्य सात प्रति
प्रत्तियाँ ख- स्वमत समर्थन.
सप्तम प्राभूत-प्राभृत १६ क- सूर्य मण्डलों के संस्थान के सम्बन्ध में अन्य आठ प्रतिपत्तियाँ
स्व मान्यता का निरूपण
अष्टम प्राभृत-प्राभृत २० क- सूर्यमण्डलों के आयाम-विष्कम्भ और बाहल्य के सम्बन्ध में
अन्य तीन प्रतिपत्तियाँ
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