SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 751
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वक्ष० ७ सूत्र १६२ ७२३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-सूची १६० क- चन्द्र के साथ अठावीस नक्षत्रों का योग काल ख- सूर्य के साथ अठावीस नक्षत्रों का योग काल १६१ क- नक्षत्रों के बारह कुल ख- नक्षत्रों के बारह उपकुल ग- नक्षत्रों के चार कुलोपकुल घ. बारह पूणिमायें ङ- बारह अमावस्याएँ च- बारह पूणिमाओं में नक्षत्रों का योग छ- " कुलों का योग उपकुलों का योग कुलोपकुलों का योग बारह अमावस्याओं में नक्षत्रों का योग कुलों का योग उपकुलों का योग कुलोपकुलों का योग ढ- ६ पूर्णिमा और ६ अमावस्या के नक्षत्र पौरुषी प्रमाण १६२ क- वर्षा ऋतु के प्रथम मास को पूर्ण करने वाले चार नक्षत्र-प्रत्येक नक्षत्र के दिन तथा पौरुषी प्रमाण ख- वर्षा ऋतु का द्वितीय मास पूर्ण करने वाले चार नक्षत्र-प्रत्येक नक्षत्र के दिन तथा पौरुषी प्रमाण ग- वर्षा ऋतु का तृतीय मास पूर्ण करने वाले तीन नक्षत्र-प्रत्येक नक्षत्र के दिन तथा पौरुषी प्रमाण घ- वर्षा ऋतु का चतुर्थमास पूर्ण करने वाले तीन नक्षत्र-प्रत्येक नक्षत्र के दिन तथा पौरुषी प्रमाण ङ- हेमन्त ऋतु का प्रथम मास पूर्ण करने वाले तीन नक्षत्र-प्रत्येक नक्षत्र के दिन तथा पौरुषी प्रमाण 4 oct Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy