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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची ७१८ वक्ष० ७ सूत्र १४० १३४ क प्रथम सूर्य मण्डल में दिन-रात्रि का जघन्य-उत्कृष्ट पकिमाण ख- द्वितीय सूर्य मण्डल में दिन-रात्रि का जघन्य-उत्कृष्ट परिमाण ग- इस प्रकार प्रत्येक सूर्यमण्डल में दिन रात्रि का जघन्य-उत्कृष्ट दूरी का परिमाण अन्तिम सूर्य मण्डल में दिन-रात्रि का जघन्य-उत्कृष्ट परिमाण विपरीत क्रम से १३५ च- प्रथम सूर्य मण्डल में सूर्य के ताप क्षेत्र का संस्थान और अंध कार क्षेत्र का संस्थान ख- अन्तिम सूर्य मण्डल के ताप क्षेत्र का संस्थान और अन्धकार क्षेत्र का संस्थान १३६ क- जम्बूद्वीप में प्रातः, मध्यान्ह और सायंकाल में सूर्यदर्शन की प्रमाण १३७ क- जम्बूद्वीप में सूर्य वर्तमान क्षेत्र में गति करता है ख- जम्बूद्वीप में सूर्य वर्तमान क्षेत्र का स्पर्श करता है ग- आहारादि अधिकारों का कथन १३८ जम्बूद्वीप में सूर्य वर्तमान क्षेत्र में क्रिया करता है-यावत्-वर्तमान क्षेत्र का स्पर्श करता है। १३६ जम्बूद्वीप में सूर्य का उर्ध्व अधो और तिर्यक् ताप क्षेत्र १४० क- मानुषोत्तर पर्वत पर्यन्त ज्योतिषी देवों का उत्पत्ति स्थान ख- मानुषोत्तर पर्वत पर्यन्त ज्योतिषी देवों की मेरु प्रदक्षिण १४१ क- ज्योतिष्केन्द्रों के च्यवन-मरण के पश्चात्-सामानिक देवों द्वारा व्यवस्था ख- इन्द्र का जघन्य उत्कृष्ट उपपात-विरहकाल ग- मानुषोत्तर पर्वत के पश्चात् ज्योतिषी देवों का उत्पत्ति स्थान ताप क्षेत्र, गति अभाव घ. इन्द्र के अभाव में सामानिक देवों द्वारा व्यवस्था ङ- इन्द्र का जघन्य-उत्कृष्ट उपपात-विरहकाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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