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________________ वक्ष० ४ सूत्र ६४ ७०५ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति-सूची ज- दक्षिणार्ध के कच्छविजय का संस्थान झ- " के मनुष्यों का वर्णन अ. वैताढ्य पर्वत का स्थान ट- वैताढ्य पर्वत के आयत और विस्तार की दिशा ठ- वैताढ्य पर्वत की बाहा, और धनुपृष्ठ का परिमाण ड- विद्याधर श्रेणियों का वर्णन ढ- विद्याधरों के नगर त- उत्तरार्ध कच्छविजय का वर्णन-दक्षिणार्ध कच्छ विजय के समान थ- सिन्धु कुण्ड का स्थान भरत क्षेत्र के सिन्धु कुण्ड के समान द- सिन्धु नदी चौदह हजार नदियों का में संगम घ- सिन्धु नदी का सीता नदी में संगम न- ऋषभकूट पर्वत का स्थान आदि प- गंगा कुण्ड का वर्णन सिन्धु कुण्ड के समान फ- कच्छ विजय नाम होने का हेतु ब- क्षेमा राजधानी का वर्णन विनीता राजधानी के समान भ- कच्छ राजा का वर्णन भरत चक्रवर्ती के समान म- कच्छ देव और उसकी स्थिति य- कच्छ विजय का शास्वत नाम होना क- चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत का स्थान, ख- चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत की आयत और विस्तार की दिशा. ग- नीलवन्त वर्षधर पर्वत के समीप चित्रकूट पर्वत का आयाम विष्कम्भ. घ- सीतानदी के समीप चित्रकूट पर्वत का आयाम-विष्कम्भ. ङ- चित्रकूट पर्वत का संस्थान च- चित्रकूट पर्वत के दोनों पार्श्व में दो पद्मवर वेदिकायें और दो वनखण्ड Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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