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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची ७०४ वक्ष० ४ सूत्र ६३ ६१ क. उत्तर करु नाम होने का हेतु ख- उत्तर कुरुदेव और उसकी स्थिति ग- उत्तरकुरु शास्वत नाम है घ- माल्यवन्त वक्षस्कार पर्वत का स्थान ङ- माल्यवन्त व० ५० के आयत और विस्तार की दिशा च- शेष वर्णन गंधमादन पर्वत के समान छ- माल्यबन्त पर्वत नो कूछ । ज- सागर कूट पर सुभोगा देवी, सुमोगा राजधानी झ- रजतकूट पर भांगमालिनी देवी और उसकी राजधानी ज- शेष कूटों के सदृश नाम वाले देव ट- देवों की राजधानियाँ ठ- शेष वर्णन चुल्ल हिमवन्त के समान ६२ क- हरिस्सह कूट का परिमाण ख- हरिस्सह राजधानी का वर्णन चमर चंचा राजधानी के समान ग- माल्यवंत नाम होने का हेतु घ- माल्यवन्त देव और उसकी स्थिति ङ- माल्यवन्त शास्वत नाम है क- कच्छ विजय का स्थान " के आयत और विस्तार की दिशा " के छ विभाग " का विष्कम्भ कुर- वैताड्य पर्वत से कच्छ विजय के दो भाग च. दक्षिणार्थ के कच्छ विजय का स्थान का आयाम-विष्कम्भ ३ १. भरत क्षेत्र के बैतादय पर्वत से यह वैताढ्य पर्वत भिन्न है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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