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________________ वक्ष० ४ सूत्र ६० जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची अ- चार शालाओं के मध्य भाग में एक सिद्धायतन ट- सिद्वायतन का आयाम-विष्कम्भ और ऊँचाई ठ- " के द्वार, द्वारों की उँचाई-विष्कम्भ ड- मणिपीठिका का आयाम-विष्कम्भ और बाहल्य ढ- छंदक का परिमाण ण- जिनप्रतिमाओं का वर्णन त- पूर्व दिशा की शाला में एक भवन थ- शेष शालाओं में प्रासादावतंसक सिंहासनादि द- पद्मवर वेदिका वर्णन ध- एक सो आठ जम्बू वृक्षों की ऊँचाई आदि न- छ: पद्मवर वेदिकाओं का वर्णन प- अनाधृत देव के सामानिक देव फ- प्रत्येक सामानिक देव के जम्बू वृक्ष ब- अनाधृत देव की अन महीषि याँ भ• अग्रमहीषियों के जम्बू वृक्षों का परिणाम म- सात सेनापतियों के सात जम्बू वृक्षों का परिमाण य- आत्म रक्षक देवों के जम्बू वृक्षों परिमाण र- जम्बू वृक्ष के वनखण्डों का वर्णन ल. प्रथम वन खण्ड के भवन और शयनीय का वर्णन व- शेष वनखण्डों के भवनों का वर्णन श- चार पुष्करिणियों के मध्य स्थित प्रासादों का वर्णन ष. पुष्करिणियों के मध्य स्थित प्रासादों का वर्णन स- प्रासाद कूटों का वर्णन है- जम्बू सुदर्शन वृक्ष के बारह नाम क्ष- जम्बू सुदर्शन नाम होने का हेतु त्र. जम्बू सुदर्शन शास्वत नाम ज्ञ- अनाधता राजधानी का वर्णन यमिका राजधानी के समान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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