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________________ ८९ वक्ष० ४ सूत्र ६० ७०२ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति-सूची गुलिका. गोमानसिका, धूपघटिका, मणिपीठिका, चैत्य स्तम्भ, जिन अस्थियां, शयनीय, क्षुद्र महेन्द्र ध्वज, शस्त्रागार, सिद्धाय तन, मणिपीठिका, देवछंदक, जिनप्रतिमा, आदि का वर्णन ल- उपपात सभा, शयनीय, ह्रद वर्णन व- अभिषेक सभा वर्णन श- अलंकारिक सभा वर्णन ष- व्यवसाय सभा वर्णन स- नंदा पुष्करिणियों और बलिपीठों का वर्णन क- नीलवन्त दह का स्थान " के आयत और विस्तार की दिशा ग- दो पद्मवर वेदिका और दो वनखण्डों का वर्णन घ- नीलवन्त नाग कुमार देव ङ- नीलवन्त द्रह के दोनों पार्श्व में वीस वीस कांचनग पर्वत च- कांचनग पर्वतों का परिमाण, यमक पर्वतों के समान छ- पांच ह्रदों के नाम ज- प्रत्येक में एक एक देव और उनकी स्थिति झ. यमका राजधानियों के समान इनकी राजधानियों का वर्णन क- जम्बूपीठ का स्थान ' की परिधि ग- " का अन्दर बाहर का बाहल्य घ- पद्मवर वेदिका वनखण्ड, त्रिसोपान और तोरणों का वर्णन ङ- मणिपीठिका की ऊँचाई और बाहल्य च- जम्बू सुदर्शन की ऊँचाई और उद्वेध " के स्कन्धों का बाहल्य ज- " की शाखाओं का आयाम-विष्कम्भ और अग्रभाग के चार दिशाओं में चार शालाएँ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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