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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति-सूची ७०६ वक्ष० ४ सूत्र ६५ १५ छ- चित्रकूट पर्वत के चार कूट ज- चित्रकूट देव और इसकी स्थिति झ- चित्रकूटा राजधानी का स्थान क- सुकच्छ विजय का स्थान ख- खेमपुरा राजधानी ग- सुकच्छ राजा घ- शेष वर्णन कच्छ विजय के समान ङ- गाथापति कुण्ड का रोहितांश कुण्ड के समान वर्णन च- गाथापति द्वीप भवन का वर्णन छ- गाथापति नदी ज- अट्ठावीस हजार नदियों का गाथापति नदी में मिलना और गाथापति नदी का सीतानदी में मिलना झ- गाथापति नदी का उद्वेध और प्रवाह का विष्कम्भ ञ- गाथापति नदी के दोनों पार्श्व में दो पद्मवर वेदिका और दो वनखण्ड का वर्णन. ट- महा कच्छविजय का स्थान पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत का स्थान पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत के आयत और विस्तार की दिशायें. पद्मकूट व. प. के चार कूट पद्मकूट देव और उसकी स्थिति . शेष वर्णन चित्रकूट पर्वत के समान ठ- कच्छगावती विजय का स्थान कच्छगावती विजय के आयत और विस्तार की दिशा कच्छगावती देव-शेष वर्णन कच्छ विजय के समान दहावती कुण्ड का स्थान दहावती नदी का सीता नदी में मिलना. शेष वर्णन-गाथावती नदी के समान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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