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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची ८६ क- गन्धमादन वक्षस्कार पर्वत का स्थान ख- गन्धमादन व प. के आयत और विस्तार की दिशा ग- गन्धमादन व. प. का आयाम घ- नीलवन्त वर्षधर पर्वत के समीप गन्धमादन को ऊँचाई और विष्कम्भ ङ. मेरु पर्वत के समीप गन्धमादन की ऊँचाई और विष्कम्भ च- गन्धमादन वक्षस्कार पर्वत का संस्थान छ- दो पद्मवर वेदिका और वनखण्ड का वर्णन ज- व्यन्तर देवों का क्रीडा स्थल झ- गन्धमादन पर्वत पर सात कूट ञ - चुल्ल हिमवन्त पर्वत के सिद्धायतन कूट के समान कूटों का परिणाम. ट - कूटों की दिशा ठ- प्रत्येक कूट पर देवियों का निवास ड- प्रासादावतंसक और राजधानियों का वर्णन ढ - गंधमादन नाम होने का हेतु - गंधमादन देव और उसकी स्थिति त- गंधमादन शास्वत नाम ८७ क- उत्तरकुरु क्षेत्र का स्थान ख ग- उत्तरकुरु क्षेत्र का संस्थान घ ङ - च क- यमक पर्वतों का स्थान ख - 37 17 Jain Education International ७०० " 33 11 वक्ष० ४ सूत्र ८८ के आयात और विस्तार की दिशा की जीवा का आयाम के धनुपृष्ठ की परिधि में सुषम-सुषमा काल के समान सदा स्थिति की ऊँचाई और उद्बोध For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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