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________________ वक्ष० ४ सूत्र ८५ ६६६ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची ठ- प्रत्येक चक्रवर्ती विजय' से अट्ठावीस हजार नदियों का सीतोदा में संगम ड. सीतोदा में पचपन लाख बत्तीस हजार नदियों का मिलना ढ- उद्गम स्थान में सीतोदा नदी का विष्कम्भ और उध ण- समुद्र में मिलने के स्थान में सीतोदा नदी का विष्कम्भ और उध त- पद्मवर वेदिका और वन खण्डवर्णन थ- निषध पर्वत पर नो कूट द- प्रत्येक कूट का परिमाण चुल्ल हिमवन्त कूट के समान ध- निषध राजधानी का स्थान न- निषध पर्वत नाम होने का हेतु प- निषध देव और उसकी स्थिति क. महाविदेह दोन का स्थान ख- , के आयत और विस्तार की दिशा ग- महाविदेह का विष्कम्भ घ- महाविदेह की बाहो का आयाम ङ- , की जीवा का , च- , के धनुपृष्ठ की परिधि छ- महाविदेह के चार विभाग ज- , में मनुष्यों के संहनन, संस्थान, अवगाहना, और गति झ- महा विदेह नाम होने का हेतु अ- महाविदेह देव और उसकी स्थिति ट- महाविदेह का शास्वत नाम ८५ १. दक्षिण तट के आठ विजय और उत्तर तट के पाठ विजय इस प्रकार सोलह विजय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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