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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची वक्ष० ४ सूत्र ८० ७७ क- शब्दापाती वृत्त वैताढ्य पर्वत का स्थान ख- " की ऊँचाई, उद्वेध, संस्थान आयाम विष्कम्भ और परिधि ग- पद्मवर वेदिका और वनखण्ड वर्णन घ- प्रासादावतंसक की ऊंचाई, आयाम-विष्कम्भ और सिंहासन परिवार ङ- शब्दापाति वृत्त वैताढ्य नाम होने का हेतु. च- शब्दापाति देव-देव की स्थिति और देव परिवार छ- शब्दापाति राजधानी का स्थान ७८ क- हैमवत नाम होने का हेतु ख- हैमवत देव और उसकी स्थिति ७६ क- महा हिमवन्त वर्षधर पर्वत का स्थान के आयत विस्तार की दिशा की ऊँचाई, उद्वध, विष्कम्भ की बाहा का आयाम की जीवा का , के धनुपृष्ठ की परिधि छ- पद्मवर वेदिका और वनखण्ड वर्णन ज- व्यन्तर देवों का क्रीड़ा स्थल क- महापद्मद्रह का स्थान ख- , का आयाम-विष्कम्भ ग- पद्म का प्रमाण घ- ह्री देवी और उसकी स्थिति ङ- महापद्म द्रह का शास्वत नाम रोहिता नदी वर्णन च- उद्गम स्थान में प्रवाह का परिमाण छ- जिबिका का परिमाण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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