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________________ वक्ष० ४ सूत्र ७६ ६६५ भ- रोहितांशा प्रपात कुण्ड में नदियों का संगम म रोहितांशा द्वीप ७५ क- चुल्ल हिमवन्त पर ग्यारह कूट ख- सिद्धायतन कूट का स्थान " ग घ "" पद्मवर वेदिका और वन खण्ड का वर्णन ङ - सिद्धायतन का आयाम - विष्कम्भ और ऊँचाई च - जिन प्रतिमाओं का वर्णन ङ - च छ - चुल्ल हिमवन्त कूट का स्थान, आयाम - विष्कम्भ ज- प्रासादावंतसक की ऊँचाई और विष्कम्भ छ ज झ - सिंहासन, परिवार अ- चुल्ल हिमवन्त देव और उसकी स्थिति ट- चुल्ल हिमवन्ता राजधानी का स्थान ट- शेष कूटों का चुल्लहिमवन्त कूट के समान वर्णन ड- चार कूटों पर देवता. शेष कूटों पर देवियां ढ - चुल्ल हिमवन्त नाम का हेतु ण - चुल्ल हिमवन्त देव और उसकी स्थिति त- चुल्ल हिमवन्त देव और उसकी स्थिति ७६ क - हेमवंत क्षेत्र का स्थान ख- हेमवंत क्षेत्र का आयत, विस्तार दिशा. ग घ Jain Education International जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची 17 " के मूल, मध्य और ऊपर का विष्कभ के "" मूल, मध्य और ऊपर की परिधि 37 " 77 का संस्थान का विष्कम्भ की बाहा का आयाम को जीवा का 19 के धनुपृष्ठ को परिधि में सुषम-दुषमा काल के समान सर्वदा स्थिति For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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