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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची ६६४ वक्ष० ४ सूत्र ७४ ग- जिव्हिका का परिमाण घ- गंगावर्त कुण्ड से गंगा प्रपात कुण्ड पर्यंत गंगा प्रवाह का परिमाण ङ- गंगा प्रपात कुण्ड का अायाम-विष्कम्भ, परिधि, उद्वेध च- पद्मवेदिका और वनखण्ड का वर्णन छ- तीन सोपानों का वर्णन ज- तोरणों का वर्णन झ- अष्ट मंगलों का वर्णन ___गंगाद्वीप का वर्णन ब- गंगाद्वीप का आयाम विष्कम्भ और परिधि ट- गंगादेवी के भवन का आयाम विष्कम्भ और ऊताई ठ- मणिपीठिका का वर्णन । ड- गंगाद्वीप का शाश्वत नाम ढ- उत्तरार्ध भरत में सात हजार नदियों का गंगा में मिलना ण- दक्षिणार्ध भरत में सात हजार नदियों के और मिलने से चौदह हजार नदियों का गंगा में संगम त- गंगा का लवण समुद्र में मिलना थ- गंगा नदी के उद्गम स्थान में प्रवाह का विष्कम्भ और उद्वेध द- समुद्र संगम में गंगानदी के प्रवाह का विष्कम्भ और उद्वेध ध- सिंधु नदी वर्णन सिंधु नदी में चौदह हजार नदियों का संगम न- सिंधु यावर्त कुण्ड वर्णन प- सिंधु प्रपात " फ- सिंधु द्वीप ब- रोहिताशा नदी रोहितांशा नदी में अट्ठावीस हजार नदियों का संगम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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