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________________ वक्ष० ४ सूत्र ७४ ६६३ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची पभद्रह वर्णन क- पद्मद्रह का आयत-विस्तार ख. , आयाम-विष्कम्भ ग- , उद्वेध की पद्मवर वेदिका-वनखण्ड पद्मवर्णन ङ.- पद्म का आयाम-विष्कम्भ च- ,, का उद्वेध-ऊँचाई और अग्रभाग का परिमाण छ- पद्म की कणिका का आयाम विष्कम्भ ज- भवन का आयाम विष्कम्भ और ऊँचाई भवन के तीन द्वार द्वारों की ऊँचाई विष्कम्भ झ- मणि पीठिका का आयाम-विष्कम्भ और बाहल्य ज- शयनीय वर्णन ट- पद्म को घेरनेवाले पद्म पद्मों का आयाम-विष्कम्भ, बाहल्य, उद्वेध और ऊँचाई ठ- पद्मों की कणिका का आयाम-बाहल्य ड- श्रीदेवी के सामानिक देवियों के पद्म ढ- श्रीदेवी की महत्तरिकाओं के पद्म ण- श्रीदेवी की तीन परिषद् के पद्म त- सर्व पद्मों की संख्या थ- पद्मद्रह नाम होने का हेतु द- श्रीदेवी-श्रीदेवी की स्थिति ध- पद्मद्रह शाश्वत नाम ___ गंगा नदी वर्णन ७४ क- गंगा नदी का उद्गम स्थान ख- पद्मद्रह गंगावत कुण्ड पर्यन्त गंगा प्रवाह का परिमाण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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