SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 716
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६८८ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची वक्ष० ३ सूत्र ६० ५३ क- भरत का सुसेण को तमिस्रा गुफा के द्वार खोलने का आदेश ख- सुसेण द्वारा कृतमाल देव की आराधनार्थ अष्टम भक्त तप ग- चौथे दिन सुसेण द्वारा तमिस्र गुफा के द्वार की पूजा घ- गुफा के द्वार पर दण्डरत्न का प्रहार ङ- भरत को द्वार खुलने की सूचना देना ५४ क- काकणी रत्न के आलोक से गजरत्नारूढ होकर मणिरत्न और भरत का तमिस्र गुफा में प्रवेश ख- मणि रत्न और काकणी रत्न का प्रमाण, मणिरत्न और काकणी रत्न के अचिन्त्य प्रभाव ५५ ग- उमग्नजला निमग्नजला नाम देने का हेतु घ- भरत द्वारा उमग्नजला और निमग्नजला के सुख संक्रमणार्थ पुल बाँधने का आदेश ङ- तमिस्रा गुफा के उत्तर द्वार का स्वयं खुलना ५६ क- उत्तरार्ध भरत में आपातचिलातों के प्रदेशों में उत्पातों के होना ख- चिलात सेना का भरत सेना से युद्ध, भरत सेना की पराजय ५७ क- असिरत्न और दण्डरत्न लेकर सुसेण सेनापती का चिलात सेना को परास्त करना ख- असिरत्न और दण्डरत्न का प्रमाण ५८ क- त्रस्त चिलातों द्वारा स्व-कुलदेव मेघमुख नाग कुमार की आरा धना ख- नाग कुमारों द्वारा भरत सेना पर मूसलाधार वर्षा ५६ क- सतत वर्षा से त्रस्त भरत सेना की नौकारूप चर्मरत्न और छत्ररत्न से रक्षा ख- चर्म रत्न और छत्ररत्न का प्रमाण ६० क- मणिरत्न से प्रकाश, गाथापति रत्न, सेना की भोजन व्यवस्था Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy