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________________ वक्ष० ३ सूत्र ५२ ६८७ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची च- मागधतीर्थ देव का अधान्हिका महोत्सव छ- सुदर्शन चक्र का वरदामतीर्थ की और बढाना ४६-४६ वरदाम और प्रभासतीर्थ का वर्णन मागधतीर्थ के समान ५० क- चक्ररत्न का सिन्धुदेवी भवन की और बढना ख- स्कन्धावार और पौषधशाला का निर्माण, अष्टम भक्ततप ग- सिन्धूदेवी द्वारा भरत का सत्कार सन्मान घ. पारणा, सिन्धुदेवी का अष्टान्हिका महोत्सव ५१ क- चक्ररत्न का वैताढ्य पर्वत की ओर बढना, स्कंधावार पौषध शाला, अष्टम भक्त, वैताढ्य गिरिकुमार देवद्वारा भरत का सत्कार ख- भरत द्वारा वैताढ्य देव का अष्टान्हिका महोत्सव ग- चक्ररत्न का तमिस्रा गुफा की और बढना भरत का अष्टम भक्त तप कृतमाल देव का आराधन घ- कृतमाल देव द्वारा भरत का सत्कार, सन्मान स्त्रीरत्न के लिये चौदह प्रकार के आभूषणों का समर्पण ङ- भरत द्वारा कृतमाल देव का अष्टान्हिका महोत्सव ५२ क- सुसेण सेनापति को सिन्धु नदी, समुद्र और वैताढ्य पर्यन्त के सभी राज्यों को आधीन करने का भरत का आदेश ख. सुसेण का विजय प्रयाण, चर्मरत्न द्वारा सिन्धुनदी को पार करना ग- सिंहल, बर्बर, अङ्गलोक, वलावलोक, यवनद्वीप, अरब, रोम अलसण्ड, पिक्खुर, कालसुख, जोनक आदि म्लेच्छदेश और कच्छ देश अादि जनपदों को जीत कर सुसेण का ससैन्य वापिस लौटना. भरत को सब उपहार भेंट करना पश्चात् स्वयं के पटमण्डप में जाकर विश्राम करना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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